miya nasiruddin paath -2 krinsha sobti dwara rachit

 

पाठ -2 

मियाँ नसीरुद्दीन 

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ  मियाँ नसीरुद्दीन हम -हशमत  नामक संग्रह से लिया गया है , जिसकी लेखिका कृष्णा सोबती हैं। इसमें खानदानी नानबाई मियां नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों, और स्वभाव के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह " मियाँ नसीरुद्दीन " को छप्पन तरह के रोटी पकाने की कला में महारत हासिल थी। वो अपने पेशे को कला का दर्ज़ा देते हैं। 

एक दोपहर जब लेखिका घूमती हुई  जामा मस्जिद के निकट मोहल्ले में एक अंधेरी दुकान के पास आती हैं, तो पता चलता है कि वह दुकान खानदानी नानबाई,  मियाँ नसीरुद्दीन कि दुकान है। उन्हें यह भी मालूम हुआ कि मियाँ छप्पन किस्म की रोटियां बनाने के लिए मशहूर हैं।

आगे लेखिका बताती हैं कि जैसे वे अंदर झांककर देखतीे हैं, तो पाते हैं कि मियाँ चारपाई पर बैठकर बीड़ी के मजे ले रहे हैं। उनके चेहरे से एक मंझे हुए कारीगर के तेवर साफ नजर आ रहे थे।

आरंभ में तो मियाँ उन्हें ग्राहक समझ लेते हैं, पर उनके सवाल पूछने पर उन्हें ज्ञात हो जाता है कि वो पत्रकार हैं। मियाँ साहब उनके सवालों का जवाब देने को तैयार हो जाते हैं, तो लेखिका उनसे पूछती हैं - आपने इतने किस्म की रोटियां बनाने की कला कहां से हासिल की। जवाब में मियाँ बताते हैं - और कहां से सीखेंगे! यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा। जो भी इल्म सीखी अपने पिता से सीखी, ये सारे हमारे बाप - दादाओं का हुनर है।

कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती
लेखिका के सवाल पर मियाँ अपने बाप और दादा का नाम बताते हैं , जिससे वे मशहूर हुआ करते थे। आगे लेखिका पूछती हैं - आपको इन दोनों में से किसी की नसीहत याद है तो बताइए। मियाँ साहब समझाते - समझाते उनसे ही सवाल करने लग जाया करते। पर उनके सवाल तो लेखिका के समझ से परे ही होतेे। फिर मियाँ साहब उन्हें अपने लफ़्ज़ों में उदाहरण देते हुए समझाने लगते।

लेखिका फिर सवाल करती हैं - यहां और भी नानबाई हैं? तो मियाँ जवाब देते हैं कि बहुत हैं, पर कोई खानदानी नहीं है। मियाँ अपने पूर्वजों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उनके पूर्वजों से एक बार बादशाह ने फ़रमाया था - मियाँ नानबाई कुछ ऐसी चीज खिलाओ, जो ना आग में पके और ना ही पानी में! लेखिका उत्सुक होकर पूछती हैं - क्या बनी उनसे ऐसी चीज? मियाँ बोलते हैं - क्यों ना बनती साहिब! बनी भी, बादशाह सलामत ने खूब खाई और खूब सराही भी।

लेखिका उनसे पूछती हैं कि, किस बादशाह के यहां आपके पूर्वज काम करते थे, तो मियाँ गोलमोल जवाब दे देते। लेखिका उनसे उनके बच्चों के बारे में पूछना चाहती, पर मियाँ के चेहरे के भाव देखकर उन्होंने इस बात को ना छेड़ना ही उचित समझा। बातों बातों में यह मालूम हुआ कि मियाँ अपने शागिर्दों का बहुत सम्मान करते थे और उन्हें समय पर वेतन दिया करते थे।

मियाँ को अब इस मजमून में अब कोई दिलचस्पी बाकी ना रही। जब लेखिका पूछती हैं कि ज्यादातर इस भट्टी में कौन सी रोटी बनती है, तो मियाँ पीछा छुड़ाने को बोले - बाकरखानी - शीरमाल - ताफतान -  बेसनी - खमीरी - रूमाली - गाव - दीदा - गाजेबान - तुनकी। आगे मियाँ कहते हैं कि अब वे कद्रदान नहीं रहे जो पकाने - खाने की कद्र किया करते थे। लेखिका, मियाँ नसीरुद्दीन के रोटी बनाने की कला और अपना पेशे के प्रति समर्पण देखकर बहुत प्रभावित हुईं…|| 



मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1  मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाईयों का मसीहा क्यों कहा गया है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियां बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। यह कला उन्हें अपने बाप - दादा से मिली थी। यह उनका खानदानी पेशा था। उनकी रोटी तुनकी पापड़ से भी पतली होती थी। इसलिए उन्हें नानबाईयों का मसीहा कहा गया है।

प्रश्न-2 लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं ? 

उत्तर-  लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन की कला के बारे में जानकर उसे प्रकाशित करना चाहती थी। लेखिका पेशे से एक पत्रकार थी और उन्होंने मियाँ नसीरुद्दीन के बारे में बहुत तारीफ सुनी थी, तो वह उनके बारे में और जानने के लिए उनके पास गई थी । 

प्रश्न-3 बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मियाँ नसीरुद्दीन ने सारी बातें अपने बड़े बुजर्गों से सुनी थी। सच्चाई ये थी कि उन्होंने किसी बादशाह के यहां काम नहीं किया था। तभी वे लेखिका के सामने ये नहीं बता सके की उन्होंने बादशाह के यहां कौनसी पकवान बनाए थे।

प्रश्न-4 मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मजमून ना छेड़ने का फैसला किया - इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के खानदान और उनसे संबंधित सारी जानकारियां एकत्र करना चाहती थी। लेकिन मियां, लेखिका की बातों से उब गए थे। उन्हें लगता था कि, पत्रकार लोग निठल्ले होते हैं। बादशाह वाले प्रसंग में लेखिका के यह पूछने पर कि उन्होंने बादशाह को कौनसी पकवान बना कर खिलाई थी, मियाँ ने बात को टाल दिया। लेखिका ने जब यह पूछा कि कौनसे बादशाह के यहां काम करते थे, तो वे खीज उठे। उन्होंने अपने कारीगर को भट्टी सुलगाने को कहने लगे। लेखिका उनके बेटे - बेटियों के बारे में पूछना चाहती थी, लेकिन मियां के चेहरे में आए भाव से उन्हें समझ आ गया कि अगर वे इससे ज्यादा पूछेंगी, तो वो उन्हें जाने को कह देंगे। इसलिए उन्होंने इस मजमून को ना छेड़ना ही उचित समझा ।

प्रश्न-5 पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है ?

उत्तर- पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र खींचते  हुए लेखिका कहती हैं कि - मौसमों की मार से पका चेहरा, आंखों में काईयां, भोलापन और पेशानी पर मझे हुए कारीगर के तेवर।

प्रश्न-6 मियाँ नसीरूद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं ? 

उत्तर-  प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मियाँ नसीरूद्दीन की जो बातें हमें अच्छी लगीं, वो निम्नलिखित हैं --- 

• मियाँ नसीरूद्दीन नान बनाने के लिए प्रसिद्ध थे और अपने पेशे के प्रति समर्पित थे | उनके इस कला के प्रति समर्पण भाव इस बात से लगाया जा सकता है कि वे लेखिका से बातें करते हुए भी  अपने काम पर से ध्यान भटकने नहीं देते हैं | 

• मियाँ नसीरूद्दीन अपने साथ काम करने वालों को सम्मान देते हैं तथा उनको दी जाने वाली वेतन में कोई कटौती भी नहीं करते |  

• मियाँ नसीरूद्दीन एक आत्मविश्वासी व्यक्ति हैं | वे लेखिका के हर प्रश्नों का उत्तर पूरी निष्ठा और दृढ़ता से देते हैं | 

प्रश्न-7  मियाँ नसीरूद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया | वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं, ऐसा क्यों ? 

उत्तर-  देखा जाए तो वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता आधुनिक परिवेश के अनुसार ढल गया है | तरह-तरह के आधुनिक काम उन्हें आकर्षित करता जा रहा है | वे अपने पारंपरिक व्यवसाय से दूर होते जा रहे हैं | ज्यादातर युवा नौकरी करना पसंद करते हैं | लोग अपनी पसंद का व्यवसाय या काम करना चाहते हैं | इसलिए वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं | 

प्रश्न-8 बिटर-बिटर देखना --- यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है ? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए | 

उत्तर- क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य - 

 आँख दिखाना -- उसकी चोरी पकड़ी गई तो आँख दिखा रहा है | 
• आँख मारना -- वह आँख मारकर मुझे बुलाता है | 
• एकटक देखना -- वह उसकी तस्वीर को एकटक देखे जा रहा है | 
• सीधी आँख न देखना -- वह उसकी तरक्क़ी को सीधी आँख नहीं देख सकता | 

प्रश्न-9 नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है | सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है ? लिखें | 

(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए | 
(ख) निकाल देंगे वक्त थोड़ा | 
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात | 
(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से | 

उत्तर- (क) छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मियाँ मशहूर हैं | 
(ख) थोड़ा वक्त निकाल देंगे | 
(ग) बात दिमाग में चक्कर काट गई है | 
(घ) जनाब ! रोटी आँच से पकती है | 


मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ 


• नानबाई  - तरह तरह के रोटी बनाने - बेचने का  काम करने वाला 
• पेशानी   - माथा, मस्तक
• मजमून  -  मामला
• जहमत  -  तकलीफ
• तरेरा   - घुरकर देखना 
• जमात -  कक्षा, श्रेणी
• परवान  -  उन्नति
• अखबारनवीस -  पत्रकार
• खुराफात -  शरारत
• इल्म -  ज्ञान
• रंगरेज  - कपड़ा रंगने वाला
• वालिद -  पिता
• मरहूम -  जिसकी मृत्यु हो चुकी हो
• मोहलत -  समय
• लम्हा भर  - क्षण भर
• नसीहत -  शिक्षा, सीख
• सागिर्द - शिष्य | 

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